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लोग अनावश्यक कॉल और मैसेज से परेशान हो गए हैं। ऐसे में सरकार मोबाइल ग्राहकों की सुरक्षा के लिए नया नियम ला रही है. जिसमें अनुचित व्यापार प्रथाओं में अनावश्यक कॉल, प्रमोशनल कॉल और संदेश शामिल हो सकते हैं। क्योंकि इस तरह के कॉल और मैसेज मोबाइल फोन से फर्जीवाड़े में अहम भूमिका निभाते हैं. 


ईटी की रिपोर्ट की मानें तो आपराधिक मामले को लेकर उपभोक्ता मामलों के विभाग की ओर से अगले कुछ महीनों में गाइडलाइन जारी की जा सकती है। इसमें बैंकों, रियल एस्टेट को प्रचारात्मक या लेनदेन संबंधी संदेश भेजने जैसे टेलीमार्केटिंग के लिए दायित्व निर्धारित करने के नियम होंगे। इसके साथ ही ऐसी प्रथा का पालन करने पर आपराधिक गतिविधि के तहत मुकदमा चलाने का भी प्रावधान होगा. 

सार्वजनिक
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 2(28) और 2(47) के अनुसार अनावश्यक कॉल और संदेश अनुचित व्यापार प्रथाओं के दायरे में आते हैं। अगर प्रमोशनल या अनावश्यक कॉल और मैसेज उचित माध्यम से नहीं किए जाते हैं तो उन्हें उपभोक्ता अधिनियम के तहत दोषी ठहराए जाने का प्रावधान है। नियमित नंबर सीरीज से प्रमोशन और अनावश्यक कॉल व मैसेज नहीं किए जा सकेंगे। 

मोबाइल कॉल स्पूफिंग में भारत शीर्ष पर
एसएमएस फ़िशिंग के लिए भारत एक बड़ा बाज़ार है। भारतीयों को हर महीने 120 से 150 मिलियन फ़िशिंग संदेश भेजे जाते हैं। लगभग 3,00,000 लोग धोखाधड़ी का शिकार बनते हैं। लेकिन केवल 35,000 से 45,000 मामले ही सामने आते हैं। 

इस मामले में उपभोक्ता मामलों के विभाग, दूरसंचार विभाग यानी डीओटी और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई ने भारती एयरटेल, रिलायंस जियो, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल और सीओएआई से मुलाकात की है।